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हमारा यह प्रयास रहेगा कि हम हिन्दी तथा English पढ़ने वालो के लिए एक अच्छी पत्रिका का काम कर सके! हमारे ब्लॉग के माधयम से हम कोशिस करेगे कि इन्टरनेट काम में लेने वाले हिन्दी भाषी लोगो को हम कुछ सहायता प्रदान कर सके अथवा एक ऐसा मंच प्रदान कर सके जहाँ सब क्षेत्र की जानकारी हिन्दी भाषा तथा English में उपलब्ध हो।
Sunday, April 11, 2010
Microsoft Windows में Run का प्रयोग
Microsoft Windows में Start-->Run का प्रयोग करके आप निम्न प्रोग्राम्स को चला सकते है
Monday, April 5, 2010
आरती बजरंगबली की
आरती बजरंगबली की
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
जाके बल से गिरिवर कांपै ।
रोग-दोष जाके निकट न झांपै ।।
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारि असुर सब मारे ।
सियाराम जी के काज संवारे ।।
लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे ।
लाय संजीवन प्राण उबारे ।।
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ।।
बाईं भुजा असुर संहारे ।
दाईं भुजा संत जन तारे ।।
सुर नर मुनि आरती उतारें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ।।
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरति करत अंजना माई ।।
जो हनुमान जी की आरती गावे ।
बसि बैकुण्ठ परमपद पावे ।।
लंक विध्वंस किए रघुराई ।
तुलसिदास प्रभु कीरति गाई ।।
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
जाके बल से गिरिवर कांपै ।
रोग-दोष जाके निकट न झांपै ।।
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारि असुर सब मारे ।
सियाराम जी के काज संवारे ।।
लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे ।
लाय संजीवन प्राण उबारे ।।
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ।।
बाईं भुजा असुर संहारे ।
दाईं भुजा संत जन तारे ।।
सुर नर मुनि आरती उतारें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ।।
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरति करत अंजना माई ।।
जो हनुमान जी की आरती गावे ।
बसि बैकुण्ठ परमपद पावे ।।
लंक विध्वंस किए रघुराई ।
तुलसिदास प्रभु कीरति गाई ।।
अथ बजरंग बाण
अथ बजरंग बाण
।। दोहा ।।
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज विलम्ब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।
जैसे कूदि सुन्धु वहि पारा ।
सुरसा बद पैठि विस्तारा ।।
आगे जाई लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।
बाग उजारी सिन्धु महं बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ।।
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेट लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर मे भई ।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी ।
कृपा करहु उन अन्तर्यामी ।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता ।
आतुर होय दुख हरहु निपाता ।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर ।
सुर समूह समरथ भटनागर ।।
जय हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो ।
महाराज प्रभु दास उबारो ।।
ऊँ कार हुंकार महाप्रभु धावो ।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।
ऊँ हीं हीं हनुमन्त कपीसा ।
ऊँ हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के ।
रामदूत धरु मारु जाय के ।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।
वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पांय परों कर जोरि मनावौं ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
जय अंजनि कुमार बलवन्ता ।
शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।।
बदन कराल काल कुल घालक ।
राम सहाय सदा प्रति पालक ।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर ।
अग्नि बेताल काल मारी मर ।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ।।
जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा ।
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।
चरण शरण कर जोरि मनावौ ।
यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ।।
उठु उठु उठु चलु राम दुहाई ।
पांय परों कर जोरि मनाई ।।
ऊं चं चं चं चपल चलंता ।
ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।
ऊँ हं हं हांक देत कपि चंचल ।
ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल ।।
अपने जन को तुरत उबारो ।
सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै ।
ताहि कहो फिर कौन उबारै ।।
पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करैं प्राम की ।।
यह बजरंग बाण जो जापै ।
ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।
।। दोहा ।।
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।।
।। दोहा ।।
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज विलम्ब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।
जैसे कूदि सुन्धु वहि पारा ।
सुरसा बद पैठि विस्तारा ।।
आगे जाई लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।
बाग उजारी सिन्धु महं बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ।।
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेट लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर मे भई ।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी ।
कृपा करहु उन अन्तर्यामी ।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता ।
आतुर होय दुख हरहु निपाता ।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर ।
सुर समूह समरथ भटनागर ।।
जय हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो ।
महाराज प्रभु दास उबारो ।।
ऊँ कार हुंकार महाप्रभु धावो ।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।
ऊँ हीं हीं हनुमन्त कपीसा ।
ऊँ हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के ।
रामदूत धरु मारु जाय के ।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।
वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पांय परों कर जोरि मनावौं ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
जय अंजनि कुमार बलवन्ता ।
शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।।
बदन कराल काल कुल घालक ।
राम सहाय सदा प्रति पालक ।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर ।
अग्नि बेताल काल मारी मर ।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ।।
जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा ।
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।
चरण शरण कर जोरि मनावौ ।
यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ।।
उठु उठु उठु चलु राम दुहाई ।
पांय परों कर जोरि मनाई ।।
ऊं चं चं चं चपल चलंता ।
ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।
ऊँ हं हं हांक देत कपि चंचल ।
ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल ।।
अपने जन को तुरत उबारो ।
सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै ।
ताहि कहो फिर कौन उबारै ।।
पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करैं प्राम की ।।
यह बजरंग बाण जो जापै ।
ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।
।। दोहा ।।
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।।
संकटमोचन हनुमानाष्टक
संकटमोचन हनुमानाष्टक
।।मत्तगयन्द छन्द ।।
बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अँधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ।।
देवन आनि करी विनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निहारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। 1 ।।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिये कौन विचार विचारो ।
कै द्घिज रुप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो ।। 2 ।।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत न बचिहों हम सों जु, बिना सुधि लाए इहां पगु धारो ।
हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया सुधि प्राण उबारो ।। 3 ।।
रावण त्रास दई सिय को तब, राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दे प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।। 4 ।।
बाण लग्यो उर लक्ष्मण के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो ।
लै गृह वैघ सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु-बीर उपारो ।
आनि संजीवनी हाथ दई तब, लक्ष्मण के तुम प्राण उबारो ।। 5 ।।
रावण युद्घ अजान कियो तब, नाग की फांस सबै सिरडारो ।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो ।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बन्धन काटि सुत्रास निवारो ।। 6 ।।
बन्धु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देवहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तबही, अहिरावण सैन्य समैत संहारो ।। 7 ।।
काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि विचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो ।
बेगि हरौ हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ।। 8 ।।
।। दोहा ।।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ।।
।।मत्तगयन्द छन्द ।।
बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अँधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ।।
देवन आनि करी विनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निहारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। 1 ।।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिये कौन विचार विचारो ।
कै द्घिज रुप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो ।। 2 ।।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत न बचिहों हम सों जु, बिना सुधि लाए इहां पगु धारो ।
हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया सुधि प्राण उबारो ।। 3 ।।
रावण त्रास दई सिय को तब, राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दे प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।। 4 ।।
बाण लग्यो उर लक्ष्मण के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो ।
लै गृह वैघ सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु-बीर उपारो ।
आनि संजीवनी हाथ दई तब, लक्ष्मण के तुम प्राण उबारो ।। 5 ।।
रावण युद्घ अजान कियो तब, नाग की फांस सबै सिरडारो ।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो ।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बन्धन काटि सुत्रास निवारो ।। 6 ।।
बन्धु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देवहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तबही, अहिरावण सैन्य समैत संहारो ।। 7 ।।
काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि विचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो ।
बेगि हरौ हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ।। 8 ।।
।। दोहा ।।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ।।
Sunday, April 4, 2010
श्री हनुमान चालीसा
श्री हनुमान चालीसा
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि ।
बरनउं रघुबर विमल जसु, जो दायकु पल चारि ।।
बुद्घिहीन तनु जानिकै, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुद्घि विघा देहु
मोहि, हरहु कलेश विकार ।।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।
जय कपीस तिहुं लोग उजागर ।।
रामदूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ।।
महावीर विक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ।।
कंचन बरन विराज सुवेसा ।
कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।
हाथ वज्र औ ध्वजा विराजै ।
कांधे मूंज जनेऊ साजै ।।
शंकर सुवन केसरी नन्दन ।
तेज प्रताप महा जगवन्दन ।।
विघावान गुणी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ।।
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा ।
विकट रुप धरि लंक जरावा ।।
भीम रुप धरि असुर संहारे ।
रामचन्द्रजी के काज संवारे ।।
लाय संजीवन लखन जियाये ।
श्री रघुवीर हरषि उर लाये ।।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।
सहस बदन तुम्हरो यश गावै ।
अस कहि श्री पति कंठ लगावै ।।
सनकादिक ब्रहादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ।।
यह कुबेर दिकपाल जहां ते ।
कवि कोबिद कहि सके कहां ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
राम मिलाय राजपद दीन्हा ।।
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना ।
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।।
जुग सहस्त्र योजन पर भानू ।
लाल्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही ।
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं ।।
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ।।
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हांक ते कांपै ।।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ।।
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ।।
संकट ते हनुमान छुड़ावै ।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ।।
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ।।
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्घ जगत उजियारा ।।
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकन्दन राम दुलारे ।।
अष्ट सिद्घि नवनिधि के दाता ।
अस वर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ।।
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।।
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेई सर्व सुख करई ।।
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
जय जय जय हनुमान गुसांई ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई ।।
जो शत बार पाठ कर सोई ।
छूटहिं बंदि महासुख होई ।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्घि साखी गौरीसा ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा ।।
।। दोहा ।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।
Sunday, March 28, 2010
Cool SMS
Dost kya hai? Jo bin bulae aaye 1 sune or 10 sunae 1 chips do to pura packet kha jae Har moke par 100 rupe ki chapat lagae PAR HAR DUKH ME SATH nibhaye
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Khuda ne sansar banaya aur so geya...Fir khuda ne insaan banaya fir so geya...Fir khuda ne ladki banai... na khud soya na dunia ko sone diya..
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The Sign Of Maturity Is Nt When We Start Saying Badi Badi Baatein... Bt Actually It Is When We Start Understanding Choti Choti Baatein.
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When it rains all birds occupy shelter but EAGLE is the only bird that avoids the rain by flying abv the cloud.Prblms r cmmon 2 all bt attitude makes d differnt
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3 Things Tat Should Not Be Askd 1. Man's Salary 2. Girl's Age & 3. Students %ge It Hurts !! Thanx Good night
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Khuda ne sansar banaya aur so geya...Fir khuda ne insaan banaya fir so geya...Fir khuda ne ladki banai... na khud soya na dunia ko sone diya..
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The Sign Of Maturity Is Nt When We Start Saying Badi Badi Baatein... Bt Actually It Is When We Start Understanding Choti Choti Baatein.
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When it rains all birds occupy shelter but EAGLE is the only bird that avoids the rain by flying abv the cloud.Prblms r cmmon 2 all bt attitude makes d differnt
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3 Things Tat Should Not Be Askd 1. Man's Salary 2. Girl's Age & 3. Students %ge It Hurts !! Thanx Good night
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Sunday, March 7, 2010
मिक्रोसोफ्त वर्ड 2007 Ribbon
मिक्रोसोफ्त वर्ड 2007 में एक Ribbon है जिसमे सात Tabs हैं जिनको अलग अलग Groups में बांटा गया हैं| Groups में Similar Commands को एक साथ रखा गया है. दिए गए चित्र में Home Tab में Font Group को दिखाया गया है. जिसमें Font, Font Size, Bold, Italic, Underline, Sub Script, Super Script, Strikethrough, Chnage case, Font color, hightlight color, Increase Font size, Decrease fot size and clear formatting Commands(options) होते है.
Use of Super Script with Microsoft Word 2007
मिक्रोसोफ्त वर्ड में A3 लिखने के लिए आपको Super Script का प्रयोग करना होगा
- Type A3
- फिर 3 को सेलेक्ट करो
- अब होम टब में Super Script Button को प्रेस करें
Use of Sub Script with Microsoft Word 2007
मिक्रोसोफ्त वर्ड में H2O लिखने के लिए आपको सब स्क्रिप्ट का प्रयोग करना होगा
- Type H2O
- फिर २ को सेलेक्ट करो
- अब होम टब में Sub Script Button को प्रेस करें
Saturday, March 6, 2010
Changing Font size from keyboard
मिक्रोसोफ्ट वर्ड में font का size change करने के लिए आप निम्न shortcut काम में ले सकते है.:
Ctrl+ [ Font size (-1)
Ctrl+ ] Font size (+1)
Ctrl+ [ Font size (-1)
Ctrl+ ] Font size (+1)
Thursday, February 25, 2010
Digital मेमोरी मात्रक
Memory Units: Bits, Bytes, Mega, Giga, Tera
Bits, Bytes, Mega, Giga, Tera
1 bit = a 1 or 0 (b)
4 bits = 1 nybble (?)
8 bits = 1 byte (B)
1024 bytes = 1 Kilobyte (KB)
1024 Kilobytes = 1 Megabyte (MB)
1024 Megabytes = 1 Gigabyte (GB)
1024 Gigabytes = 1 Terabyte (TB)
The smallest amount of transfer is one bit. It holds the value of a 1, or a 0. (Binary coding). Eight of these 1's and zero's are called a byte.
Bits, Bytes, Mega, Giga, Tera
1 bit = a 1 or 0 (b)
4 bits = 1 nybble (?)
8 bits = 1 byte (B)
1024 bytes = 1 Kilobyte (KB)
1024 Kilobytes = 1 Megabyte (MB)
1024 Megabytes = 1 Gigabyte (GB)
1024 Gigabytes = 1 Terabyte (TB)
The smallest amount of transfer is one bit. It holds the value of a 1, or a 0. (Binary coding). Eight of these 1's and zero's are called a byte.
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